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उपन्यास >> आशा निराशा आशा निराशागुरुदत्त
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जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...
यशोदा ने बताया, ‘‘नज़ीर की मां इरीन है मिल्टन तुम्हारे विषय में जानने आयी थी। जब हमने बताया कि दो मास से तुम्हारा कोई समाचार नहीं मिल रहा तो वह अपनी लड़की का भी समाचार न मिलने की बात कह रोती हुई चली गयी थी।’’
‘‘मां! वह कहती थी कि वह पाकिस्तान के वर्तमान सैनिक शासक की लड़की है। परन्तु कल दिल्ली में पाकिस्तानी हाई कमिश्नर के एक जानकार अधिकारी से पता करने पर यह रहस्योद्घाटन हुआ है कि वह उस शासक की लड़की नहीं है और वह शासक नज़ीर को अपनी मिस्ट्रेस बनाने के लिए उत्सुक था। इस कारण कहा नहीं जा सकता कि वह ही इसे ‘स्मगल’ (चुरा) कर पाकिस्तान ले गया है अथवा उसके भय से वह कहीं छुपी हुई है।’’
तेजकृष्ण सायंकाल विदेश विभाग के सेक्रेटरी से मिलने गया और उसकी जो भी बातचीत उससे हुई, मंत्री के निरीक्षण के लिए ‘टेप’ कर ली गयी।
पूर्ण वार्तालाप का निष्कर्ष यह था, ‘‘मैं घटनाओं से यह समझा हूं कि यदि अमेरिका ने सक्रिय सैनिक शक्ति से युद्ध में कूद पड़ने की धमकी न दी होती तो चीन युद्घ विराम नहीं करता और इस समय चीन की पनडुब्बियां बंगाल की खाड़ी और हिन्द महासागर में डुबकियां लेती हुई दिखाई देतीं।’’
‘‘मैं गोहाटी में पांच महीने और बीस दिन बन्दी के रूप में रहा हूं। इस काल में पांच बार मेरे बयान लिए गए। मैं उनको बताता कि मैं ‘लन्दन टाइम्स’ का सम्वाददाता हूं। प्रत्येक बार मेरे बयान लिख लिए जाते, परन्तु कुछ दिन के उपरान्त फिर बयान लेने कोई नया व्यक्ति आ जाता था। पहले बयान कहीं गुम हो जाते थे।’’
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