| अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
 
 
 
दुख के सुख जियो, पियो ज्वाला
 दुख के सुख जियो, पियो ज्वाला,
 शंकर की स्मर-शर की हाला।
 
 शाशि के लाञ्छन हो सुन्दरतर,
 अभिशाप समुत्कल जीवन-वर
 वाणी कल्याणी अविनश्वर
 शरणों की जीवन-पण माला।
 
 उद्वेल हो उठो भाटे से,
 बढ़ जाओ घाटे-घाटे से।
 ऐंठो कस आटे-आटे से,
 भर दो जीकर छाला-छाला।
 
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