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आराधना

सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :100
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 8338

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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ



धाये धाराधर धावन हे !


धाये धाराधर धावन हे!
गगन-गगन गाजे सावन हे!

प्यासे उत्पल के पलकों पर
बरसे जल धर-धर-धर-धर-धर,
शीकर-शीकर से श्रम पीकर;
नयन-नयन आये पावन हे!

श्याम दिगन्त दाम-छबि छायी,
बही अनुत्कुण्ठित पुरवाई,
शीतलता-शीतलता आयी,
प्रियतम जीवन-मन भावन हे!

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