| अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
 
 
धाये धाराधर धावन हे !
 धाये धाराधर धावन हे!
 गगन-गगन गाजे सावन हे!
 
 प्यासे उत्पल के पलकों पर
 बरसे जल धर-धर-धर-धर-धर,
 शीकर-शीकर से श्रम पीकर;
 नयन-नयन आये पावन हे!
 
 श्याम दिगन्त दाम-छबि छायी,
 बही अनुत्कुण्ठित पुरवाई,
 शीतलता-शीतलता आयी,
 प्रियतम जीवन-मन भावन हे!
 
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