| अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
 
 
आयी कल जैसी पल
 आयीं कल जैसी पल
 खिंचे-खिंचे रहे सकल।
 
 स्यन्दन नभ से उतरा,
 हुआ स्पन्द और खरा,
 निखरी जो दृष्टि परा,
 दिखे दिव्य नयनोत्पल।
 
 काँपे दिग्वास तरुण,
 लहरा निश्वास अरुण,
 हुई धरा करुण-करुण,
 जागा यौवन, मंगल।
 
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