| अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
 
 
कमल-कमल युगपदतल
 कमल-कमल युगपदतल,
 नील सरोवर जल, थल।
 
 ऊर्मिल मृदु गन्ध हास,
 भू पर फैला प्रकाश,
 छाया दिड्मधुर वास,
 प्रतिपल कलकल कलकल।
 
 खुली हुई केशराशि,
 दृष्टि राम-श्याम भासि,
 जीवन की मरण-पाशि,
 समाश्वासि काशी कल।
 
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