लोगों की राय

कहानी संग्रह >> गुप्त धन-1 (कहानी-संग्रह)

गुप्त धन-1 (कहानी-संग्रह)

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :447
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8461

Like this Hindi book 5 पाठकों को प्रिय

317 पाठक हैं

प्रेमचन्द की पच्चीस कहानियाँ


बहुत दिनों तक यह घटना आस-पास के मनचले क़िस्सागोयों के लिए दिलचस्पियों का ख़जाना बनी रही। एक साहब ने उस पर अपनी क़लम भी चलायी। बेचारे ठाकुर साहब ऐसे बदनाम हुए कि घर से निकलना मुश्किल हो गया। बहुत कोशिश की कि गाँव आबाद हो जाय लेकिन किसकी जान भारी थी कि इस अंधेर नगरी में क़दम रखता जहाँ मोटापे की सजा फाँसी थी। कुछ मज़दूर-पेशा लोग किस्मत का जुआ खेलने आये मगर कुछ महीनों से ज़्यादा न जम सके। उजड़ा हुआ गाँव खोया हुआ एतबार है जो बहुत मुश्किल से जमता है। आख़िर जब कोई बस न चला तो ठाकुर साहब ने मज़बूर होकर आराजी माफ़ करने का आम ऐलान कर दिया लेकिन इस रियासत ने रही-सही साख भी खो दी। इस तरह तीन साल गुज़र जाने के बाद एक रोज वहाँ बंजारों का क़ाफ़िला आया। शाम हो गयी थी और पूरब तरफ़ से अँधेरे की लहर बढ़ती चली आती थी। बंजारों ने देखा तो सारा गाँव वीरान पड़ा हुआ है। जहाँ आदमियों के घरों में गिद्ध और गीदड़ रहते थे। इस तिलिस्म का भेद समझ में न आया। मकान मौजूद हैं, ज़मीन उपजाऊ है, हरियाली से लहराते हुए खेत हैं और इन्सान का नाम नहीं! कोई और गाँव पास न था वहीं पड़ाव डाल दिया। जब सुबह हुई, बैलों के गलों की घंटियों ने फिर अपना रजत-संगीत अलापना शुरू किया और क़ाफ़िला गाँव से कुछ दूर निकल गया तो एक चरवाहे ने ज़ोर-ज़बर्दस्ती की यह लम्बी कहानी उन्हें सुनायी। दुनिया भर में घूमने-फिरने ने उन्हें मुश्किलों का आदी बना दिया था। आपस में कुछ मशविरा किया और फ़ैसला हो गया। ठाकुर साहब की ड्योढ़ी पर जा पहुँचे और नज़राने दाख़िल कर दिये। गाँव फिर आबाद हुआ।

यह बंजारे बला के चीमड़, लोहे की-सी हिम्मत और इरादे के लोग थे जिनके आते ही गाँव में लक्ष्मी का राज हो गया। फिर घरों में से धुएँ के बादल उठे, कोल्हाड़ों ने फिर धुएँ और भाप की चादरें पहनीं, तुलसी के चबूतरे पर फिर से चिराग़ जले। रात को रंगीन तबियत नौजवानों की अलापें सुनायी देने लगीं। चरागाहों में फिर मवेशियों के गल्ले दिखाई दिये और किसी पेड़ के नीचे बैठे हुए चरवाहे की बाँसुरी की मद्धिम और रसीली आवाज़ दर्द और असर में डूबी हुई इस प्राकृतिक दृश्य में जादू का आकर्षण पैदा करने लगी।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book