लोगों की राय

कहानी संग्रह >> हिन्दी की आदर्श कहानियाँ

हिन्दी की आदर्श कहानियाँ

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :204
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8474

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

14 पाठक हैं

प्रेमचन्द द्वारा संकलित 12 कथाकारों की कहानियाँ


राजवती के यह गौरव भरे शब्द सुनकर वीरमदेव उछल पड़े, और राजवती को गले लगाकर बोले–‘राजवती! तुमने मेरे मन में बिजली भर दी है। तुम्हारे यह शब्द रण-क्षेत्र में मेरे मन को उत्साह दिलाते हुए मुझे लड़ायेंगे। दुर्ग तुम्हारे अर्पण है।’

दुंदुभी पर चोट पड़ी, राजपूतों के दिन खिल गये। माताओं ने पुत्रों को हँसते हुए बिदा किया। बहनों ने भाइयों को तलवारें बाँधी। स्त्रियाँ स्वामियों से हँस-हँसकर गले मिलीं, परन्तु मन में उद्वग्निता भरी हुई थी! कौन जाने, फिर मिलाप हो या न हो।

दुर्ग के कुछ अंतर नदी बहती थी। राजपूत उसके तट पर डट गये। सेनापति की सम्मति थी कि हमको नदी के इस पार रहकर शाही सेना को पार होने से रोकना चाहिए, परन्तु वीरमदेव जोश में पागल हो रहे थे, उन्होंने कहा–‘हम नदी के उस पार शाही सेना से युद्घ करेंगे और सिद्ध कर देंगे कि राजपूतों का बाहुबल शाही सेना की शक्ति से कहीं अधिक है।’

राजपूतों ने महादेव की जय के जयकारे बुलाते हुए नदी को पार किया और वे शाही सेना से जुट गये।

राजपूत शाही सेना की अपेक्षा थोडे़ थे, परन्तु उनके साहस बढ़े हुए थे, और राजपूत बराबर आगे बढ़ रहे थे। ऐसा प्रतीत होता था, मानो शाही सेना पर राजपूतों की निर्भीकता और वीरता ने जादू कर दिया है। परन्तु यह अवस्था अधिक समय तक स्थिर न रही। शाही सेना राजपूतों की अपेक्षा कई गुना अधिक थी, इसलिये संध्या होते-होते पासा पलट गया। राजपूतों को नदी के इस पार आना पड़ा।

इससे वीरमदेव को बहुत आघात पहुँचा। उन्होंने रात को एक ओजस्विनी वक्तृता दी, और राजपूतों के पूर्वजों के साखे सुना-सुनाकर उनो उत्तेजित किया। इसका परिणाम यह हुआ कि राजपूतों ने क्रुद्ध सिंहों के समान तैरकर दूसरे दिन नदी पार करने की प्रतिज्ञा की, परंतु मनुष्य कुछ सोचता है, परमात्मा की कुछ और इच्छा होती है। इधर यह विचार हो रहे थे, उधर मुसलमान भी सोये न थे। उन्होंने कल्मा पढ़ कर कसमें खायीं कि मरते-मरते मर जायेंगे, परन्तु पीठ न दिखायेंगे। मुट्ठी भर राजपूतों से हारना सख्त कायरता है। लोग क्या कहेंगे? यह लोग कहेंगे कि भय लोगों से बहुत कुछ करवा देता है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book