लोगों की राय

कहानी संग्रह >> हिन्दी की आदर्श कहानियाँ

हिन्दी की आदर्श कहानियाँ

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :204
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8474

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

14 पाठक हैं

प्रेमचन्द द्वारा संकलित 12 कथाकारों की कहानियाँ


रेख अभी नहीं फूटी है, बदन और चेहरा भरा-पूरा है, आँखें भोलेपन और खुशी से हँस रही हैं! मुझे यह मानव मूर्ति स्वास्थ्य और सुख और प्रसन्नता से खिली हुई, मानो गढ़ी हुई यह प्रकृति-मूर्ति अरूचिकर न जान पड़ी।

‘पोरस, चाचा को सर नवाओ।’

उसने दोनों हाथ जोड़कर समस्त सिर झुका दिया।

तब डिक का हाथ बढ़ा। पोरस का हाथ बढ़ा। पोरस का हाथ ‘शेक’ करते हुए कहा–‘पोरस तुम राजा है। हम हारता है, और हम खुश है!’ पोरस का हाथ वैसे ही थामे हुए ललिता की ओर मुड़कर कहा, Lalita dear, I congratulate you on your treasure, on your victory, on your king! In truth, I do. Here’s my hand!’ और ललिता का हाथ झकझोर दिया।

‘Long live Porus, I say–and I be saved.’

000

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book