लोगों की राय

कहानी संग्रह >> हिन्दी की आदर्श कहानियाँ

हिन्दी की आदर्श कहानियाँ

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :204
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8474

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

14 पाठक हैं

प्रेमचन्द द्वारा संकलित 12 कथाकारों की कहानियाँ


चुपचाप सब तैयार हो गये। बोधा भी कम्बल उतारकर चलने लगा तब लहनासिंह ने उसे रोका। लहनासिंह आगे हुआ, तो बोधा के बाप सूबेदार ने उँगली से बोधा की ओर इशारा किया। लहनासिंह समझकर चुप हो गया। पीछे दस आदमी कौन रहें, इस पर बड़ी हुज्जत हुई। कोई रहना न चाहता था। समझा-बुझाकर सूबेदार ने मार्च किया। लपटन साहब लहना की सिगड़ी के पास मुँह फेरकर खड़े हो गये और जेब से सिगरेट निकालकर सुलगाने लगे। दस मिनट बाद उन्होंने लहना की ओर हाथ बढ़ाकर कहा–लो तुम भी पियो।

आँख मारते-मारते लहनासिंह सब समझ गया। मुँह का भाव छिपाकर बोला लाओ, साहब! हाथ आगे करते ही उसने सिगड़ी के उजाले में साहब का मुँह देखा, बाल देखे, तब उसका माथा ठनका। लपटन साहब के पट्टियों वाले बाल एक दिन में कहाँ उड़ गये और उनकी जगह कैदियों के कटे हुए बाल कहाँ से आ गये?

शायद साहब शराब पिये हुए हैं और उन्हें बाल कटवाने का मौका मिल गया हो? लहनासिंह ने जाँचना चाहा। लपटन साहब पाँच वर्ष से उसकी रेजिमेंट में थे।

‘क्यों साहब, हम लोग हिन्दुस्तान कब जाएँगे?’

‘लड़ाई खत्म होने पर। क्यों क्या यह देश पसंद नहीं?’

‘नहीं साहब, शिकार के वे मजे यहाँ कहाँ? याद है, पारसाल नकली लड़ाई के पीछे हम, आप जगाधारी के जिले में शिकार करने गये थे–हाँ, हाँ, वहीं, वहीं, जब आप खोते (गधे) पर सवार थे और आपका एक खानसामा अब्दुला रास्ते के मंदिर में जल चढ़ाने को रह गया था? बेशक, पाजी कहीं का–सामने से नील गाय निकली कि ऐसी बड़ी मैंने कभी नहीं देखी थी। और आपकी एक गोली कंधे में लगी और पुट्ठे में निकली। ऐसे अफ़सर के साथ शिकार खेलने में मज़ा है। क्यों साहब, शिमले से तैयार होकर उस नीलगाय का सिर आ गया था न? आपने कहा था कि रेजिमेंट की मेस में लगायेंगे।

‘हाँ, पर हमने वह विलायत भेज दिया।’

‘ऐसे बड़े-बड़े सींग। दो-दो फुट के होंगे?’

‘हाँ, लहनासिंह, दो फुट चार इंच के थे। तुमने सिगरेट नहीं पिया?’

‘पीता हूँ साहब, दियासलाई ले आता हूँ।’ कहकर लहनासिंह ख़ंदक़ में घुसा। अब उसे संदेह नहीं रहा था। उसने झटपट निश्चय कर लिया कि क्या करना चाहिए।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book