कहानी संग्रह >> प्रेम पचीसी (कहानी-संग्रह) प्रेम पचीसी (कहानी-संग्रह)प्रेमचन्द
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मुंशी प्रेमचन्द की पच्चीस प्रसिद्ध कहानियाँ
डाक्टर–चोर की यही सजा है।
जगिया–किस ओझे ने चलाया है?
डाक्टर–बुद्धू चौधरी ने।
जगिया–अरे राम, उसकी मूठ का तो उतार ही नहीं।
डाक्टर अपने कमरे में चले गये, तो माँ ने कहा–सूम का धन शैतान खाता है। पाँच सौ रुपये कोई मुँह मार कर ले गया। इतने में तो मेरे सातो धाम हो जाते।
अहिल्या बोली–कंगन के लिए बरसों से झींक रही हूँ, अच्छा हुआ, मेरी आह पड़ी है।
माँ–भला घर में उसके रुपये कौन लेगा?
अहिल्या–किवाड़ खुले होंगे, कोई बाहरी आदमी उड़ा ले गया होगा।
माँ–उसको विश्वास क्योंकर आ गया कि घर ही के किसी आदमी ने रुपये चुराये हैं।
अहिल्या–रुपये का लोभ आदमी को शक्की बना देता है।
रात को एक बजा था। डाक्टर जयपाल भयानक स्वप्न देख रहे थे। एकाएक अहिल्या ने आ कर कहा–जरा चल कर देखिए, जगिया का हाल क्या हो रहा है। जान पड़ता है, जीभ ऐंठ गयी। कुछ बोलती ही नहीं, आँखें पथरा गयी हैं।
डाक्टर चौंक कर उठ बैठे। एक क्षण तक इधर-उधर ताकते रहे, मानो सोच रहे थे, यह भी स्वप्न तो नहीं है। तब बोले–क्या कहा! जगिया को क्या हो गया?
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