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अमेरिकी यायावर

योगेश कुमार दानी

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :150
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9435

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उत्तर पूर्वी अमेरिका और कैनेडा की रोमांचक सड़क यात्रा की मनोहर कहानी


रात को सपनों में अपने आपको बस की सवारी करता हुआ देखता। यात्रा के दिन सुबह जल्दी से जल्दी उठकर तैयार हो जाता। बस में बैठते समय हमेशा मेरी कोशिश होती कि ड्राइवर के ठीक पीछे खिड़की वाली सीट पर बैठने को मिले, ताकि हवा भी लगे और सामने और दायें बायें हर तरफ की सड़क और बाहर की दुनिया देखने का मौका भी मिले। यह एक अलग बात है कि भारत के एक छोटे से नगर में छोटा-मोटा व्यवसाय करने वाले को इस प्रकार के कितने अवसर मिल पाते हैं? अपने पिता के साथ बचपन में ही मिलने वाले इस प्रकार के अवसरों ने मुझे भी घुमक्कड़ी का चस्का लगा दिया। आज भी जब मैं किसी नये स्थान की यात्रा करता हूँ तब मेरे पिता उस स्थान के बारे में अवश्य पूछते हैं। जैसे-जैसे मैं बड़ा होता गया, मेरी भ्रमण करने और इस धरती और इस पर रहने वाले लोगों, अन्य प्रजातियों, वनस्पति तथा इसके भूगोल के बारे में अधिकाधिक जानने की इच्छा बढ़ती चली गई। सुपरिचित स्थानों की यात्रा तो हम सभी के आकर्षण का विषय होती है और वह मुझे भी आकर्षित करती है, परंतु मुझे प्रसिद्ध स्थानों, किलों, पहाड़ों, झीलों और रमणीय स्थलों से अधिक हर स्थान की छोटी-छोटी स्थानीय वस्तुएँ अधिक आकर्षित करती हैं।
गत वर्ष, जब मुझे यहाँ अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला, तब मेरे मन में सबसे पहला विचार अमेरिका के स्थानों का भ्रमण कर सकने की संभावना के बारे में ही आया था! पहले वर्ष का पाठ्यक्रम समझने और यहाँ के वातावरण में अभ्यस्त होने में अभी तक इतना समय लग गया कि इस विषय में कुछ विशेष प्रगति नहीं कर पाया। समय की कमी के साथ-साथ इसके लिए आवश्यक धन भी मेरे पास नहीं था। यदि यहाँ की व्यवस्था को अच्छी समझ लेता तब तो संभवतः हिप्पियों की तरह घुमक्कड़ी का रास्ता भी खोज लेता, परंतु उस तरीके से न तो मुझे घूमने की इच्छा है, और न ही घुमक्कड़ी की वैसी तीव्र कामना।
यूनिवर्सिटी की एक साल की ट्यूशन फीस का प्रबंध तो मैंने किसी प्रकार अपने पिछले चार सालों की कमाई के बाद हुई बचत से कर लिया था! भारत में आई टी में काम करते समय मेरे कुछ सहयोगियों के साथ कुछ ऐसे प्रोजेक्टों में काम करने का मौका मिला कि उससे अतिरिक्त आय तो हुई ही, साथ-ही-साथ धन कमाने के एक और तरीका का पता लग गया। इसका फायदा उठा कर मैं अमेरिका आने के बाद भी उसी तरह के प्रोजेक्टों पर काम करता रहा हूँ।या। पर यहाँ के सामान्य जीवन के खर्चे भी इतने अधिक हैं कि बहुत सावधानी से गुजारा करने पर ही काम चल पाया है। इस धनराशि में मेरी इच्छाओं के अनुरूप अमेरिका घूमने का शौक पूरा हो सके, इसकी संभावना कम ही दिखाई पड़ती है। डॉलर और रुपये में असमानता इतनी अधिक है कि अपने परिवार से पैसे माँगकर अपनी इच्छाएँ पूरी करूँ, इसकी तो कोई संभावना ही नहीं है! वैसे भी, मध्यम वर्ग के लोगों के पास अपना जीवन चलाने के लिए धन होता है, न कि अपने शौक पूरे करने के लिए! इसी कारण नौकरी करते समय जो पैसा बचा सका उसमें से फीस, अमेरिका आने का हवाई टिकट का पैसा और उसके ऊपर हजार डॉलर अपने लिए बचाकर बाकी की सभी जमा-पूँजी और अपना सामान माँ-पिताजी को दे आया था। पिछले 10 महीनों से पढ़ाई और प्रोजेक्ट के अतिरिक्त आस-पास की दुकानों पर छोटे-मोटे काम करके किताबों और जीवन-खर्च के लिए पैसे कमाता रहा हूँ।
अभी तक के काम से बचाए हुए पैसे को भविष्य के लिए भी बचाये रखने की तीव्र आवश्यकता होते हुए भी, जहाँ तक हो सके, इन गर्मियों में मैं उत्तरी पूर्व अमेरिका के कुछ स्थानों की यात्रा करना चाहता था। इसी इच्छा से मैंने अपनी कक्षा के फेश बुक के पेज पर लॉग-इन करके यह जानना चाहा, कि क्या मेरी तरह कोई और भी इस प्रकार की सड़क यात्रा में दिलचस्पी रखता है? इस जिज्ञासा के पीछे मेरी मंशा यह थी कि संभवतः कई लोग इस प्रकार की यात्रा के इच्छुक हों? परंतु, जब पूरा एक दिन निकल जाने के बाद भी मेरे प्रश्न पर किसी ने कोई टिप्पणी नहीं की, तब मुझे निराशा होने लगी।

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