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धर्म एवं दर्शन >> आदित्य हृदय स्तोत्र

आदित्य हृदय स्तोत्र

अगस्त्य ऋषि

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :34
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9544

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राम रावण युद्ध के समय अगस्त्य ऋषि द्वारा बतलाई गई सूर्य आराधना। शक्ति और सामर्थ्य की प्राप्त के लिए की जाने वाली आराधना।


अथ  रविरवदन्निरीक्ष्य  रामं
मुदितमनाः परमं प्रहृष्यमाणः।
निशिचरपतिसंक्षयं    विदित्वा
सुरगणमध्यगतो वचस्त्वरेति।।31।।


atha ravi-ravadan-nirikshya ramam
mudita manah paramam prahrishyamanaha |
nishicharapati-sankshayam viditva
suragana-madhyagato vachastvareti || 31

उस समय देवताओं के मध्य में खड़े हुए भगवान सूर्य ने प्रसन्न होकर श्रीरामचन्द्रजी की ओर देखा और निशाचरराज रावण के विनाश का समय निकट जानकर हर्षपूर्वक कहा 'रघुनन्दन! अब जल्दी करो'। ।31।।

Then knowing that the destruction of Ravana was near, the Sun-God Aditya, surrounded by all the Gods in heaven, looked at Rama with delighted mind and exclaimed 'Hurry up' - 'Be quick'. 31

इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे पंचाधिकशततमः सर्गः।

Thus ends the hymn Aditya-Hridayam in praise of the Sun God recounted in the Yuddha Kanda of Valmiki Ramayana (the war chapter)

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