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धर्म एवं दर्शन >> आदित्य हृदय स्तोत्र

आदित्य हृदय स्तोत्र

अगस्त्य ऋषि

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :34
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9544

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राम रावण युद्ध के समय अगस्त्य ऋषि द्वारा बतलाई गई सूर्य आराधना। शक्ति और सामर्थ्य की प्राप्त के लिए की जाने वाली आराधना।


एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिवः स्कन्दः प्रजापतिः।
महेन्द्रो धनदः कालो यमः सोमो ह्यपां पतिः।।8।।
पितरो  वसवः  साध्या  अश्विनौ  मरुतो मनुः।
वायुर्वह्नि  प्रजाः   प्राण  ऋतुकर्ता   प्रभाकरः ।।9।।


esha brahma cha vishnush cha shivah skandah prajapatihi |
mahendro dhanadah kalo yamah somo hyapam patihi || 8
pitaro vasavah sadhya hyashvinau maruto manuh |
vayurvahnih praja-prana ritukarta prabhakarah || 9

'ये ही ब्रह्मा, विष्णु, शिव, स्कन्द, प्रजापति, इन्द्र, कुबेर, काल, यम, चन्द्रमा, वरुण, पितर, वसु, साध्य, अश्विनी कुमार, मरुदगण, मनु, वायु, अग्नि, प्रजा, प्राण, ऋतुओं को प्रकट करने वाले तथा प्रभा के पुंज हैं।' ।।8-9।।

He is Brahma (the creator), Visnu (the Sustainer), Shiva (the destroyer), Skanda (the son of Siva), Prajapati (progenitor of human race), the mighty Indra (king of heaven), Kubera (the god of wealth and lord of riches), Kala (eternal time), Yama (the Lord of death), Soma (the moon god that nourishes), and Varuna (the lord of sea and ocean). Indeed, he is Pitris (ancestors, manes), the eight Vasus, the Sadhyas, the twin Aswins (physicians of Gods), the Maruts, the Manu, Vayu (the wind God), Agni (the fire God), Prana (the Life breath of all beings), the maker of six seasons and the giver of light. 8-9

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