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धर्म एवं दर्शन >> आदित्य हृदय स्तोत्र

आदित्य हृदय स्तोत्र

अगस्त्य ऋषि

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :34
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9544

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राम रावण युद्ध के समय अगस्त्य ऋषि द्वारा बतलाई गई सूर्य आराधना। शक्ति और सामर्थ्य की प्राप्त के लिए की जाने वाली आराधना।


नम उग्राय  वीराय  सारंगाय  नमो नमः।
नमः पद्मप्रबोधाय प्रचण्डाय नमोऽस्तु ते।।18।।

nama ugraya viraya sarangaya namo namah |
namah padma prabodhaya martandaya namo namah || 18

'उग्र (अभक्तों के लिये भयंकर), वीर (शक्ति-संपन्न) और सारंग (शीघ्रगामी) सूर्यदेव को नमस्कार है| कमलों को विकसित करनेवाले प्रचंड तेजधारी मार्तण्ड को प्रणाम है।' ।।18।।

Salutations to Martandaya the son of Mrukanda Maharisi, the terrible and fierce one, the mighty hero, the one that travels fast. Salutations to the one whose appearance makes the lotus blossom (also the awakener of the lotus in the heart) 18

ब्रह्मेशानाच्युतेशाय   सूरायादित्यवर्चसे ।
भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नमः ।।19।।


brahmeshanachyuteshaya suryayadityavarchase |
bhasvate sarva bhakshaya raudraya vapushe namaha || 19

'(परात्पर रूप में) आप ब्रह्मा, शिव और विष्णु के भी स्वामी हैं। सूर आपकी संज्ञा हैं, यह सूर्यमण्डल आपका ही तेज है, आप प्रकाश से परिपूर्ण हैं, सबको स्वाहा कर देने वाला अग्नि आपका ही स्वरूप है, आप रौद्ररूप धारण करने वाले हैं, आपको नमस्कार है।' ।।19।।

Salutations to the Lord of Brahma, Shiva and Vishnu, salutations to Surya the sun god, who (by his power and effulgence) is both the illuminator and devourer of all and is of a form that is fierce like Rudra. 19

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