धर्म एवं दर्शन >> आदित्य हृदय स्तोत्र आदित्य हृदय स्तोत्रअगस्त्य ऋषि
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राम रावण युद्ध के समय अगस्त्य ऋषि द्वारा बतलाई गई सूर्य आराधना। शक्ति और सामर्थ्य की प्राप्त के लिए की जाने वाली आराधना।
तमोघ्नाय हिमघ्नाय शत्रुघ्नायामितात्मने।
कृतघ्नघ्नाय देवाय ज्योतिषां पतये नमः।।20।।
tamoghnaya himaghnaya shatrughnayamitatmane |
kritaghnaghnaya devaya jyotisham pataye namaha || 20
'आप अज्ञान और अन्धकार के नाशक, जड़ता एवं शीत के निवारक तथा शत्रु का नाश करने वाले हैं, आपका स्वरूप अप्रमेय है। आप कृतघ्नों का नाश करने वाले, सम्पूर्ण ज्योतियों के स्वामी और देवस्वरूप हैं, आपको नमस्कार है।' ।।20।।
Salutations to the dispeller of darkness, the destroyer of cold, fog and snow, the exterminator of foes; the one whose extent is immeasurable. Salutations also to the annihilator of the ungrateful and to the Lord of all the stellar bodies, who is the first amongst all the lights of the Universe. 20
तप्तचामीकराभाय हरये विश्वकर्मणे ।
नमस्तमोऽभिनिघ्नाय रुचये लोकसाक्षिणे।।21।।
taptacami karabhaya vahnaye vishvakarmane |
namastamo'bhinighnaya ravaye (rucaye) lokasakshine || 21
'आपकी प्रभा तपाये हुए सुवर्ण के समान है, आप हरि (अज्ञान का हरण करने वाले) और विश्वकर्मा (संसार की सृष्टि करने वाले) हैं, तम के नाशक, प्रकाशस्वरूप और जगत के साक्षी हैं, आपको नमस्कार है।' ।।21।।
Salutations to the Lord shining like molten gold, destroying darkness, who is the transcendental fire of supreme knowledge, who destroys the darkness of ignorance, and who is the cosmic witness of all merits and demerits of the denizens who inhabit the universe. Salutations to Vishvakarma the architect of the universe, the cause of all activity and creation in the world. 21
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