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अंतिम संदेश

खलील जिब्रान

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :74
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9549

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विचार प्रधान कहानियों के द्वारा मानवता के संदेश

उन्होंने खाया पिया औऱ वे सन्तुष्ट हुए। जब यह समाप्त हुआ तो अलमुस्तफा विस्तीर्ण सागर की भांति गहरी औऱ चन्द्रमा के साये में तूफान की तरह पुष्ट आवाज में बोला, "मेरे साथियो औऱ मेरे हमराहियो, हमें आज जुदा होना पड़ेगा। एक अरसे से हम भयानक समुद्रों पर तैरते रहे हैं, हम ढालू पहाडि़यों पर चढे़ हैं किन्तु एक साथ बैठकर हमने महाभोज भी खाये हैं। अनेक समय हम नंगे रहे हैं, किन्तु हमने राजसी वस्त्र भी पहने हैं। हमने वास्तव में बडा़ लम्बा सफर तय किया है, लेकिन अब हम जुदा होते हैं। तुम इकट्ठे अपने रास्ते पर जाओगे और मैं अकेला अपने रास्ते पर बढ़ जाऊंगा।”

"और हालांकि समुद्र और विस्तीर्ण भूमि हमें जुदा करेगी, फिर भी पूज्य पर्वत की यात्रा में हम साथी होंगे।”

"किन्तु इससे पहले कि हम अपने-अपने कठिन रास्ते पर जायं, मैं तुम्हें अपने हृदय की फसल तथा जीवन का निचोड़ प्रदान करूंगा।”

"तुम अपने रास्ते पर गाते हुए जाओ, किन्तु हर गीत को छोटा रखो, क्योंकि वे ही गीत, जोकि तुम्हारे ओठों पर अपनी जवानी में ही मृत्यु को प्राप्त होते हैं, मनुष्य के हृदय में जीवित रहेंगे।”

"एक सुन्दर सत्य थोडे़ शब्दों में कहो, किन्तु एक असुन्दर सत्य थोडे़ शब्दों में भी मत कहो। जिस सुन्दरी के केश सूर्य के प्रकाश में चमकते हों, उससे कहो कि वह प्रभात की पुत्री है, किन्तु यदि तुम्हे एक अन्धा दिखाई पडे़ तो उससे यह न कहो कि वह रात्रि के साथ एक है।”

"बांसुरी बजाने वाले को ध्यान से सुनो, जैसा कि वह बसन्त को सुनता है, किन्तु यदि तुम समालोचक अथवा दोष निकालने वाले को सुनो तो अपनी हड्डियों की भांति बहरे हो जाओ और इतनी दूर निकल जाओ, जितनी कि तुम्हारी कल्पना।”

"मेरे साथियो और मेरे स्नेहियो; अपने रास्ते पर तुम लम्बे नाखूनों वाले मनुष्यों से मिलोगे, उन्हें एक पंख देना; लम्बे सींगों वाले मनुष्यों से मिलोगे, उन्हें लारेल के हार पहनाना; लम्बे-लम्बे पंजों वाले मनुष्यो से भी मिलोगे, उनकी उंगलियों के लिए पुष्प की पंखुड़ियां देना; और तीखी जिह्वा वाले मनुष्यों से भी मिलोगे, उनके शब्दों के लिए मधु देना।”

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