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फ्लर्ट

प्रतिमा खनका

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9562

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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।

‘क्यों? इससे कोई फर्क पड़ता है?’ मैं थोड़ा झेंप सा गया।

‘ऐसा नहीं है, बस वो तुम थोडे लम्बे हो। यू ऑर बारॅड एण्ड यू बिहैव लाईक ए बिट मैंच्योर पर्सन, तो मुझे लगा कि कम से कम ग्रेजुएशन पर्सुईंग तो होंगे ही। आई एम सॉरी!’

‘सॉरी क्यों?’

‘कुछ नहीं ऐसे ही। तो ये शूट तो हो गया, अब आगे चलना है? अगर कोई और मौका मिले तो करोगे?’

‘हाँ लेकिन ऐसा होगा?’

‘हाँ लेकिन तुमको थोड़ा इंतजार करना होगा और थोड़ा समय देना होगा।’

‘किसे?’

‘अरे इस स्ट्रीम को! वैसे तुमको जरूरत तो नहीं है लेकिन हो सके तो अपना लुक थोड़ा और मोडीफाई करो। क्योंकि तुम्हारी उम्र कम है तो तुम्हारे पास वक्त ही वक्त है इस लाइन को देने के लिए और यहाँ यही चाहिये। जो लोग जल्दी करते हैं उनका कुछ नहीं होता यहाँ।’ उसने अपने लिए कॉफी निकाली।

‘तो मैम अभी तो मैं वापस जा सकता हूँ? या रुकना है यहाँ?’

‘नहीं, अभी जरूरत नहीं है। कुछ दिनों में मेरे पास एक ऑफर आना है, एक मोबाइल कंपनी के एड का। वो मेरे हाथ में आते ही मेरे रेट्स बढ़ जायेंगे। मुझे उसमें एक को-मॉडल की जरूरत होगी। मैं तुमको बुलाना चाहती हूँ उसके लिए।’

‘लेकिन मैम आपके पास तो अब तक वो ऑफर भी नहीं है, तो आप कैसे कह सकतीं है कि ये एड आपको ही मिलेगा और जरूरी तो नहीं कि मुझे भी उसमें मौका मिले?’

उसने कॉफी का एक घूँट लिया और पूरे यकीन के साथ मेरी तरफ देखा।

‘मैं जानती हूँ कि ये एड मुझे ही मिलेगा। इस लाइन में लड़कियों के पास बहुत ऑप्शन होते हैं। तुम उसकी चिन्ता मत करो। तो तुम करोगे न?’

‘अगर आपको लगता है कि मैं कर सकता हूँ तो जरूर मैम।’

इतनी बात करने के बाद मैं वहाँ से जाने के लिए उठा, केबिन के दरवाजे तक पहुँचा था कि यामिनी ने एक और सवाल कर दिया।

‘अंश! एक बात पूछनी थी,। तुममें ये एटीट्यूट वाकई है या तुम सिर्फ शो ऑफ करते हो?’ उसने मुस्कुराते हुए कुछ अन्दाजा लगाते हुए पूछा।

‘आप, ये क्यों पूछ रही हैं?’

‘असल में, तुम्हारा एटीट्यूट लगता तो एटीट्यूट जैसा ही है लेकिन काफी नैचुरल! हम सब को तुम्हारी ये बात शिमला में भी बहुत भायी थी। तुम बहुत कम बात कर रहे थे। खुद में ही थे, और मुस्कुराहट तो तुम्हारी बस वॉक पर ही दिखी थी।’

‘मैम मैं कभी भी कुछ भी शो ऑफ के लिए नहीं करता। हाँ अगर मेरा कम बोलना या सीरियस रहना आपको मेरा एटीट्यूट लगता है तो मैं ये ही कहूँगा कि ये मेरी आदत है।’

यामिनी को अपने घर का नम्बर देकर और अपनी पेमेंट का चैक लेकर हम वापस घर आ गये। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी पहली कमाई 40,000 की होगी वो भी इस तरह।

करीब चार दिनों में मैं वापस शिमला में था।

जब चैक मैंने मम्मी का हाथ में रखा तो वो जितनी खुश हुई उतनी ही परेशान भी। वो मुझे अपने पैरों पर खड़ा जरूर देखना चाहती थी लेकिन इस तरह नहीं।

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