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गंगा और देव

आशीष कुमार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :407
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9563

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आज…. प्रेम किया है हमने….


‘बता देव ये कोर्स करेगा?’ सावित्री ने पूछा उसे मक्खन लगाते हुए कहा।

देव ने सुना। वो सोचने लगा कि क्या करूँ।

‘अच्छा ठीक है! तुम कह रही हो तो सिर्फ इसलिए’ देव ने सिर हिलाया

.....वरना और कोई कहता तो कभी नहीं करता!‘‘ देव ने साफ किया।

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कुछ ही दिनों में बीएड का फार्म निकला।

देव ने फार्म भरा। बाराबंकी जाकर इन्ट्रैंस इक्जाम दिया।

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