लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> गुनाहों का देवता

गुनाहों का देवता

धर्मवीर भारती

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :614
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9577

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

305 पाठक हैं

संवेदनशील प्रेमकथा।


“क्या बात है, बिनती? अच्छी तो हो?” चन्दर ने पूछा।

“आओ, चन्दर?” बिनती ने कहा और अन्दर जाते ही दरवाजा बन्द कर दिया और चन्दर की बाँह पकडक़र सिसक-सिसककर रो पड़ी। चन्दर घबरा गया। “क्या बात है? बताओ न! डॉक्टर साहब कहाँ हैं?”

“अन्दर हैं।”

“तब क्या हुआ? तुम इतनी दु:खी क्यों हो?” चन्दर ने बिनती के सिर पर हाथ रखकर पूछा...उसे लगा जैसे इस समस्त वातावरण पर किसी बड़े भयानक मृत्यु-दूत के पंखों की काली छाया है...”क्या बात है? बताती क्यों नहीं?”

बिनती बड़ी मुश्किल से बोली, “दीदी...सुधा दीदी...”

चन्दर को लगा जैसे उस पर बिजली टूट पड़ी-”क्या हुआ सुधा को?” बिनती कुछ नहीं बोली, उसे ऊपर ले गयी और कमरे के पास जाकर बोली, “उसी में हैं दीदी!”

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book