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कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580

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११३

यार ऐसे बैठ कर मत हाथ मल


यार ऐसे बैठ कर मत हाथ मल
हाथ आया वक्त जायेगा निकल

बन के सूरज इस क़दर तू मत उछल
शाम होते ज़िन्दगी जायेगी ढल

ये सियासत हो रही है आजकल
कर रहें हैं मौज नेता दल-बदल

इक ख़ुशी का पल यहाँ आया तो था
काश वो रुकता मेरे घर पल-दो-पल

चार ही क़दमों प है मंजिल मगर
चलते-चलते पाँव हो जाते हैं शल

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