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कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580

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मेरे मत से कोई अवगत नहीं है


मेरे मत से कोई अवगत नहीं है

ये उनका मत है मेरा मत नहीं है

ये वन्दनवार सब उनके लिये हैं
हमारा-आपका स्वागत नहीं है

कोई संजीवनी लाये तो कैसे
यहाँ सब राम हैं हनुमत नहीं है

सभी के अपने-अपने पक्षधर हैं
किसी के पक्ष में बहुमत नहीं है

जिसे भयभीत हैं सब लाँघने में
वो राई है कोई पर्वत नहीं है

हम उनकी जीत को क्यों जीत माने
हमारी हार शत-प्रतिशत नहीं है

ये उनके स्वप्न का होगा तो होगा
हमारे स्वप्न का भारत नहीं है

कथन में ‘क़म्बरी’ के सत्यता है
के उसकी लेखनी दलगत नहीं है

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