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कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580

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१७

किसी के ख़त का बहुत इन्तिज़ार करते हैं


किसी के ख़त का बहुत इन्तिज़ार करते हैं
हमारी छत पे कबूतर नहीं उतरते हैं

ख़ुशी के, प्यार के, गुल के, बहार के लम्हे
हमें मिले भी तो पल भर हैं नहीं ठहरते

किसी तरफ से भी आओगे, हमको पाओगे
हमारे घर से सभी रास्ते गुज़रते हैं

ये जानता है समन्दर में कूदने वाला
जो डूबते हैं वही लोग फिर उभरते हैं

कहीं फ़साद, कहीं हादसा, कहीं दहशत
घरों से लोग निकलते हुये भी डरते हैं

ऐ ‘क़म्बरी’ नहीं इन्सानियत से प्यार जिन्हें
वहीं तो आये दिन झगड़ा फ़साद करते हैं

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