लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

38 पाठक हैं

एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


''तुम्हारे ससुराल वाले क्या सोचेंगे?''

''कह दूंगी, मेरी छोटी बहन है। इस दुनिया में हमारा और कोई नहीं, इसीलिए इसे अपने साथ ले आई।''

''नहीं पूनम! नहीं! न जाने वे क्या समझें! अभी तो तुम भी उस घर में अजनबी होगी!''

'''तुम्हें इन बातों से क्या? तू मान जा, अपने लिए नहीं तो मेरे लिए ही सही। अनजान लोग! अनजान जगह! दोनों मिलकर रहेंगी तो कट जाएगी यह ज़िंदगी।''

इससे पहले कि अंजना पूनम की बात का कोई जवाब दे, पूनम ने मुंह पर उंगली रखकर उसका मुंह बंद कर दिया। उन दोनों की ऊंची आवाज़ों के कारण बच्चा नींद से जग गया था। पूनम ने उसे गोद में ले लिया और बांहों के झूले में झुलाने लगी।

इधर अंजना के मन में एक द्वंद्व उठ खड़ा हुआ, एक उलझन-सी पैदा हो गई। जीवन के कटु सत्य की छाया उसके मन में लहराने लगी। वह मौन हो पूनम और उसके बच्चे की ओर देखती रही। जब दोनों की नजरें मिली तो तनिक मुस्कराकर अंजना ने पूछा- ''क्या नाम है नन्हें का?''

''राजीव!''

सुन्दर-सा कोमल बच्चा देखकर कुछ देर के लिए उसके दिमाग ने अन्य बातें सोचना बंद कर दिया।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book