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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


नौजवान ने काफी दूर तक उसका पीछा किया, लेकिन वह नजरों से ओझल हो चुका था। फिर अकेली लडकी का ख्याल आते ही वह रुक गया और वापस लौट आया। रास्ते में उसने गिरा हुआ बैग उठा लिया और आते ही उसे अंजना को दे दिया।

''शायद यह आपका है!'' उसने हांफते हुए कहा।

अंजना ने कांपते हाथों से बैग पकड़ लिया और थरथराते होंठों से कांपते स्वर में बोली-''जी हां, धन्यवाद!''

नौजवान ने देखा कि वह उस ठंडी संध्या में भी पसीने से भीग चुकी थी। घबराहट से उसका मुंह पीला पड़ चुका था। वायुमंडल के शीत से उसके होठ नीले पड़ गए थे।

'कहां जा रही थीं आप?''

''नैनीताल।''

''यह सड़क तो जंगल के रास्ते काठगोदाम जाती है।''

इतना सुनकर एक हिचकी-सी अंजना की जबान पर आकर रुक गई और वह बच्चे को गोद में लिटाकर बड़ी कातर दृष्टि से उस नौजवान की ओर देखने लगी।

''नैनीताल कितनी दूर है अब?''

''यहां से दस मील है, लेकिन आप जा न सकेंगी।''

''क्यों?'' अंजना ने विह्वल हो पूछा।

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