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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


''आप यहां कब से हैं?'' अंजना ने बात का रुख पलटते हुए कहा।

''छ: महीने से, अपनी नौकरी भी बस इतनी ही हुई है।''

अंजना फिर मौन हो गई। बाहर जोरों का तूफान था। बारिश थी कि थमने का नाम नहीं ले रही थी। उसका जोर बढ़ता ही जा रहा था।

विवश होकर अंजना को रात कमल के पास ही काटनी पड़ी। कमल ने सवेरा होते ही उसे नैनीताल पहुंचाने का वचन दिया था। राजीव उसके शयन-कक्ष में लिहाफ की गरमी में चुपचाप सो रहा था।

''नैनीताल में कौन रहता है आपका?'' कमल ने कुछ देर बाद फिर बात छेड़ी।

अंजना सिहर उठी लेकिन अपना भाव छिपाने के लिए बोली- ''ससुराल है मेरी।''

''कौन लोग हैं वे?''

''वहां के रिटायर्ड डिप्टी कलक्टर लाला जगन्नाथ।''

''क्या-लाला जगन्नाथ, लेक विव वाले?''

''आपने उनका नाम सुन रखा है क्या?''

''नाम ही नहीं सुन रखा है मैं उन्हें अच्छी तरह से जानता भी हूं, लेकिन आप...। पूनम! उनकी बहू! शेखर की बीवी!''

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