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खामोश नियति

रोहित वर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :41
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9583

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कविता संग्रह

तुम

चादर ओढे आदमी धीरे धीरे

उस खंडहर की तरफ कदम बढ़ाता जा रहा था,

ढूंढ़ने की कोशिश में उसके तरफ कदम रखा,

तो पास पड़े कुछ पत्थरों के रुका,

कुछ कहा और फिर पत्थरों में खो गया,

वो मेरी आत्मा थी, उसके कहे हुए शब्द

अब भी मेरे कानों में गूंज रहे थे,

वो शब्द है........"तुम"

एक शब्द जो सारी कायनात से मिला देगा,

आज और कल आएगा फिर वहीँ मिल जाएगा,

आने तक वक्त की शुमार होगी,

इन्तजार रहेगा,.

वक्त कुछ पलों के लिए ठहर जायेगा,

जब मुलाकात खुद से होगी,

मुलकात एक पल की ....

कुछ पल की..........

और सारी जिंदगी की..........

¤ ¤

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Rohit Kumar

Respected Sir/Madam, I am very much thankful for this book....