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मन की शक्तियाँ

स्वामी विवेकानन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :55
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9586

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स्वामी विवेकानन्दजी ने इस पुस्तक में इन शक्तियों की बड़ी अधिकारपूर्ण रीति से विवेचना की है तथा उन्हें प्राप्त करने के साधन भी बताए हैं

मनुष्य यदि जीवन के लक्ष्य अर्थात् पूर्णत्व को प्राप्त करने का इच्छुक है तो उसके लिए यह आवश्यक है कि वह अपने मन के स्वभाव को भलीभाँति परख ले। मन की शक्तियाँ सचमुच बड़ी ही आश्चर्यजनक हैं।

स्वामी विवेकानन्दजी ने इस पुस्तक में इन शक्तियों की बड़ी अधिकारपूर्ण रीति से विवेचना की है तथा उन्हें प्राप्त करने के साधन भी बताए हैं। स्वामीजी स्वयं एक सिद्ध महात्मा थे; उन्हें उन साधनाओं का पूर्ण ज्ञान था जिनके सहारे एक साधक चरम उद्देश्य अर्थात् आत्मानुभूति प्राप्त कर सकता है।

यह सत्य है कि ये साधनाएँ भिन्न भिन्न व्यक्तियों के स्वभाव तथा उनकी प्रकृति के अनुसार अलग अलग हो सकती हैं। और इस पुस्तक में स्वामीजी ने उन साधनाओं को व्यवहार में लाने के लिए वे उपदेश तथा सुझाव दे दिए हैं जो साधक के लिए वास्तव में बड़े उपयोगी सिद्ध होंगे।

हमें विश्चास है कि  इस पुस्तक से पाठकों का निश्चय ही हित होगा।

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