लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

386 पाठक हैं

कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

6. मन पर अधिकार तुम्हारा है

 

यह तुमने भी स्वीकार किया यह हमने भी स्वीकारा है।
तन पर अधिकार किसी का है मन पर अधिकार तुम्हारा है।।

तन और कहीं पर रहता है
मन का घर और कहीं पर है।
मैं अपना पता बताऊँ क्या
मेरी ख़ातिर यह दुष्कर है।
तन में घर-बार किसी का है मन में घर-बार तुम्हारा है।
तन पर अधिकार किसी का है मन पर अधिकार तुम्हारा है।।

मैं तो नज़दीक किसी के हूँ
तुमसे तो काफ़ी दूरी है।
पर इसे समझते हो तुम भी
यह दुनियावी मजबूरी है।
तन से सत्कार किसी का है मन से सत्कार तुम्हारा है।
तन पर अधिकार किसी का है मन पर अधिकार तुम्हारा है।।

रातें हैं और किसी की पर
ख़्वाबों में तुम ही रहते हो।
मन वो ही कहता-सुनता है
जो कुछ तुम सुनते-कहते हो।
तन का संसार किसी का है मन का संसार तुम्हारा है।
तन पर अधिकार किसी का है मन पर अधिकार तुम्हारा है।।

¤ ¤

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai