ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
अपने काव्य-गुरु डॉ. कमलेश द्विवेदी जी के प्रति
जिस दीपक से आलोकित हो गीत-ग़ज़ल मैं गाऊँ,
जिनकी रचना के प्रवाह का गंगाजल मैं पाऊँ।
जिसने मेरे जड़वत चिंतन को चैतन्य किया है,
जिसने मुझे सिखाकर सब कुछ मुझको धन्य किया है।
शब्द-भाव-यति-गति छंदों का दान नहीं मिल पाता,
आप न मिलते तो कविता का ज्ञान नहीं मिल पाता।
सहज-सरल बोली में सच्ची बातें जो बतलाते,
यदा-कदा ही ऐसे कविगण इस धरती पर आते।
करूँ 'अर्चना' यही हृदय से यों ही लिखते जायें,
कालजयी हों गीत आपके सब को सुख पहुंचायें।
जिनकी रचना के प्रवाह का गंगाजल मैं पाऊँ।
जिसने मेरे जड़वत चिंतन को चैतन्य किया है,
जिसने मुझे सिखाकर सब कुछ मुझको धन्य किया है।
शब्द-भाव-यति-गति छंदों का दान नहीं मिल पाता,
आप न मिलते तो कविता का ज्ञान नहीं मिल पाता।
सहज-सरल बोली में सच्ची बातें जो बतलाते,
यदा-कदा ही ऐसे कविगण इस धरती पर आते।
करूँ 'अर्चना' यही हृदय से यों ही लिखते जायें,
कालजयी हों गीत आपके सब को सुख पहुंचायें।
- अर्चना पांडा
हिंदी कवयित्री
कैलीफोर्निया (अमेरिका)
कैलीफोर्निया (अमेरिका)
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