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ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589

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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

25. हम न अभी तक कह पाये हैं

 

केवल शब्दों पर मत जाओ इनकी अपनी सीमायें हैं।
तुम उसको महसूस करो जो हम न अभी तक कह पाये हैं।।

तुम तो सब कुछ कह लेते हो
हमको इतना ज्ञान नहीं है।
दिल की बातों को गा लेना
शायद यों आसान नहीं है।
इस कारण ही गीत हमारे अब तक कितने अनगाये हैं।
तुम उसको महसूस करो जो हम न अभी तक कह पाये हैं।।

सोचा कितनी बार कि तुमसे
अपने दिल का हाल बता दें।
कुछ न छिपा कर रक्खें दिल में
जो कुछ भी है आज जता दें।
लेकिन शब्द ज़ुबाँ पर आने से जाने क्यों कतराये हैं।
तुम उसको महसूस करो जो हम न अभी तक कह पाये हैं।।

प्यार शब्द की परिभाषा में
शब्दों की कुल क्षमता खोई।
प्यार रूप है ईश्वर का ही
जिसको कह न सका है कोई।
दिल की बात तभी तो तुमसे कहने में हम सकुचाये हैं।
तुम उसको महसूस करो जो हम न अभी तक कह पाये हैं।।

 

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