लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

386 पाठक हैं

कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

58. वो चित्रों से बोल रहा हूँ

 

तेरी यादों का अलबम मैं धीरे- धीरे खोल रहा हूँ।
जो कुछ तुझसे नहीं कह सका वो चित्रों से बोल रहा हूँ।।

तूने मुझसे कभी कहा था-
हरदम साथ रहेगा मेरे।
पर अब चारों तरफ स्वयं के
खींच लिये हैं कितने घेरे।
पैरों ने जो दर्द दिए हैं वे अश्कों में घोल रहा हूँ।
जो कुछ तुझसे नहीं कह सका वो चित्रों से बोल रहा हूँ।।

तू घेरों में क़ैद हो गया
इसमें ग़लती तेरी ही है।
लेकिन कभी-कभी लगता है-
कोई ग़लती मेरी भी है।
तू अपने को जाँच, स्वयं को मैं भी आज टटोल रहा हूँ।
जो कुछ तुझसे नहीं कह सका वो चित्रों से बोल रहा हूँ।।

घेरों से बाहर आना है
तो फिर अपने पाँव बढ़ा दे।
या मैं तोड़ सकूँ घेरों को
तू मुझको इतना मौका दे।
इसीलिए घेरों के बाहर-बाहर अब तक डोल रहा हूँ।
जो कुछ तुझसे नहीं कह सका वो चित्रों से बोल रहा हूँ।।

 

¤ ¤

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book