लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको

मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

386 पाठक हैं

कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

60. दो बातें करने को

 

दो बातें करने को तुमसे अक्सर ही अकुलाता हूँ मैं।
और कभी जब बात न होती परेशान हो जाता हूँ मैं।।

मिस्ड कॉल कर तुम्हें, सोचता-
अब आयेगा फोन तुम्हारा।
फिर भी कॉल न आती है तो
मिस्ड कॉल करता दोबारा।
इतने पर भी मिले न उत्तर तो फिर फोन लगाता हूँ मैं।
दो बातें करने को तुमसे अक्सर ही अकुलाता हूँ मैं।।

लेकिन कभी-कभी यह स्थिति
मन की पीड़ा और बढ़ाये।
बार-बार घंटी तो जाये
मगर न कोई फोन उठाये।
कैसे तुम्हें बताऊँ तुम पर तब कितना झुँझलाता हूँ मैं।
दो बातें करने को तुमसे अक्सर ही अकुलाता हूँ मैं।।

लाख घना हो ग़म का कुहरा
पल में बिलकुल छँट जाता है।
दो बातें कर लेता तुमसे
तो पूरा दिन कट जाता है।
तुम क्या जानो तुमसे बातें करके क्या सुख पाता हूँ मैं।
दो बातें करने को तुमसे अक्सर ही अकुलाता हूँ मैं।।

 

¤ ¤

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book