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नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


20. जो कम बुद्धि सहपाठी होते


जो कम बुद्धि सहपाठी होते
उनके साथ सदा रहती हूँ
उनको पाठ याद कराती
उनसे बैर न रखती हूँ

दोस्ती करती ओर पढ़ाती
उनको प्यार से मैं समझाती

गुरूजनों की आज्ञाकारी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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