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नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


28. इसी समाज के इक कोने में


इसी समाज के इक कोने में
मिला दूजवर, पिता को वर
मेरे लिये चुन लिया गया वह
थी उसकी वह अधेड़ उम्र

शादी के बँधन में बाँधने
पिता मेरे तैयार हुए

बूढ़ा पति, सोच घबराती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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