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भाषा एवं साहित्य >> पीढ़ी का दर्द

पीढ़ी का दर्द

सुबोध श्रीवास्तव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :118
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9597

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संग्रह की रचनाओं भीतर तक इतनी गहराई से स्पर्श करती हैं और पाठक बरबस ही आगे पढ़ता चला जाता है।


एहसास


तुम्हें,
गुलदस्ते में सजे
ताजे फूलों की
मोहक सुगन्ध एवं सौन्दर्य
प्रभावित नहीं कर सकते
क्योंकि-
उन्हें पाने के लिए
तुम्हें,

न तो पौधा लगाना पड़ा
और
न ही फूलों को
पौधे से विलग करते हुए
काँटों की चुभन का
एहसास ही हुआ।

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