लोगों की राय

भाषा एवं साहित्य >> पीढ़ी का दर्द

पीढ़ी का दर्द

सुबोध श्रीवास्तव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :118
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9597

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

185 पाठक हैं

संग्रह की रचनाओं भीतर तक इतनी गहराई से स्पर्श करती हैं और पाठक बरबस ही आगे पढ़ता चला जाता है।


खबरची


अखबार का
खबरची
खुद में है
एक बड़ी खबर!

हर सुबह घर से निकलता है
यंत्रचालित सा
उतारने
कागज के टुकड़ों पे-
धड़कनें शहर की कि-
नंदू को नहीं दी
साहूकार ने
महीने की पगार,

लंबी मोटर ने
देखा नहीं
बैसाखी पे सड़क पार करते
अनाथ बूढ़े को,
आज फिर बंद रहा
मिल का भोंपू
और
आक्रोश में उठे रहे
सैकड़ों मुट्‌ठी बंद हाथ,

आज फिर-
सड़क किनारे मिली
फूले पेट वाली
नंगी लाश।

लेकिन
देर रात
बोझिल मन से घर लौटते
कचोटता है उसका मन
कि आज भी
क्यों नहीं लिख पाया
अपनी आपबीती
हमेशा की तरह!

0 0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book