लोगों की राय

भाषा एवं साहित्य >> पीढ़ी का दर्द

पीढ़ी का दर्द

सुबोध श्रीवास्तव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :118
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9597

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

185 पाठक हैं

संग्रह की रचनाओं भीतर तक इतनी गहराई से स्पर्श करती हैं और पाठक बरबस ही आगे पढ़ता चला जाता है।


शिल्पकार


तुम,
सचमुच महान हो
शिल्पकार !

तुम्हारे हाथ
नहीं दुलारते बच्चों को
न ही गूँथते हैं फूल
अर्धांगिनी के केशों में
बस,
उलझे रहते हैं
'ताज' बनाने में,
जो-
फेंक दिए जाते हैं
बाद में
काट कर,
तब भी-
क्यूँ नहीं कम होता
तुम्हारा-
ताज के प्रति अनुराग!

0 0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book