लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> सरल राजयोग

सरल राजयोग

स्वामी विवेकानन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :73
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9599

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

372 पाठक हैं

स्वामी विवेकानन्दजी के योग-साधन पर कुछ छोटे छोटे भाषण


षष्ठ पाठ


सुषुम्ना : सुषुम्ना का ध्यान करना अत्यन्त लाभदायक है। तुम इसका चित्र अपने भाव-चक्षुओं के सामने लाओ, यह सर्वोत्तम विधि है। तत्पश्चात् देर तक उसका ध्यान करो। सुषुम्ना एक अति सूक्ष्म, ज्योतिर्मय सूत्रसदृश है। मेरुदण्ड के मध्य से जानेवाला यह चेतन मार्ग, मुक्ति का द्वार है। इसी में से होते हुए हमें कुण्डलिनी को ऊपर ले जाना होगा।

योगियों की भाषा में सुषुम्ना के दोनों छोरों पर दो कमल हैं। नीचेवाला कमल कुण्डलिनी के त्रिकोण को आच्छादित किये हुए हैं और ऊपरवाला ब्रह्मरन्ध्र में है। इन दोनों के बीच और भी पाँच कमल हैं, जो इस मार्ग के विभिन्न सोपान हैं। इनके नाम यथाक्रम इस प्रकार हैं -

सप्तम - सहस्रार

षष्ठ - आज्ञा- नेत्रों के मध्य

पंचम - विशुद्ध - कण्ठ के नीचे

चतुर्थ - अनाहत- हृदय के समीप

तृतीय - मणिपूर - नाभिदेश में

द्वितीय - स्वाधिष्ठान - उदर के नीचे।

प्रथम - मूलाधार- मेरुदण्ड के नीचे

प्रथम कुण्डलिनी को जगाना चाहिए, फिर उसे यथाक्रम एक कमल से दूसरे कमल की ओर ऊपर ले जाते हुए अन्त में मस्तिष्क में पहुँचाना चाहिए। प्रत्येक सोपान मन का एक नूतन स्तर है।

* * *

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book