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शक्तिदायी विचार

स्वामी विवेकानन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :57
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9601

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ये विचार बड़े ही स्फूर्तिदायक, शक्तिशाली तथा यथार्थ मनुष्यत्व के निर्माण के निमित्त अद्वितीय पथप्रदर्शक हैं।


•    संसार को कौन प्रकाश देगा? अतीत का आधार त्याग ही था औऱ भविष्य में भी वही रहेगा। पृथ्वी के वीरतम औऱ महानतम पुरुषों को दूसरों की - सब की भलाई के लिए अपनी बलि देनी पड़ेगी। अनन्त प्रेम और अपार दयालुता-सम्पन्न सैकड़ों बुद्घों की आवश्यकता है।

•    मैं पुन: पुन: जन्म धारण करूँ औऱ हजारों मुसीबतें सहता रहूँ, जिससे मैं उस परमात्मा को पूज सकूँ, जो सदा ही वर्तमान है, जिस अकेले में मैं सर्वदा विश्वास रखता हूँ, जो समस्त जीवों का समष्टिस्वरूप है और जो दुष्टों के रूप में, पीड़ितों के रूप में तथा सब जातियों, सब वर्गों के गरीबों में प्रकट हुआ है। वही मेरा विशेष आराध्य है।

•    हमारा सर्वश्रेष्ठ कार्य तभी होगा, हमारा सर्वश्रेष्ठ प्रभाव तभी पड़ेगा, जब हममें ‘अहं-भाव’ लेशमात्र भी न रहेगा।

•    आज संसार के सब धर्म प्राणहीन एवं परिहास की वस्तु हो गये हैं। आज जगत् का सच्चा अभाव है चरित्र। संसार को उनकी आवश्यकता है जिनका जीवन उत्कट प्रेम तथा नि:स्वार्थपरता से पूर्ण है। वह प्रेम प्रत्येक शब्द को वज्रवत् शक्ति प्रदान करेगा।

•    श्रेष्ठतम जीवन का पूर्ण प्रकाश है आत्मत्याग, न कि आत्माभिमान।

•    जहाँ यथार्थ धर्म है, वहीं प्रबलतम आत्मबलिदान है। अपने लिए कुछ मत चाहो, दूसरों के लिए ही सब कुछ करो-यही है ईश्वर में तुम्हारे जीवन की स्थिति, गति तथा प्राप्ति।

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