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शक्तिदायी विचार

स्वामी विवेकानन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :57
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9601

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ये विचार बड़े ही स्फूर्तिदायक, शक्तिशाली तथा यथार्थ मनुष्यत्व के निर्माण के निमित्त अद्वितीय पथप्रदर्शक हैं।


स्फुट

•    शिक्षा विविध जानकारियों का ढेर नहीं है, जो तुम्हारे मस्तिष्क में ठूँस दिया गया है और जो आत्मसात हुए बिना वहाँ आजन्म पडा रहकर गड़बड़ मचाया करता है। हमें उन विचारों की अनुभूति कर लेने की आवश्यकता है, जो जीवन-निर्माण, ‘मनुष्य’निर्माण तथा चरित्र-निर्माण में सहायक हों। यदि आप केवल पाँच ही परखे हुए विचार आत्मसात् कर उनके अनुसार अपने जीवन औऱ चरित्र का निर्माण कर लेते हैं, तो आप पूरे ग्रन्थालय को कण्ठस्थ करनेवाले की अपेक्षा अधिक शिक्षित हैं।

•    जब तक सभ्यता नाम से पहचानी जानेवाली बीमारी अस्तित्व में है, तब तक दरिद्रता अवश्य रहेगी औऱ इसलिए उसके दूर करने की आवश्यकता भी बनी रहेगी।

•    ‘शाइलाक्स’ अर्थात् निर्दयी महाजनों के अत्याचारों के कारण पाश्चात्य देश कराह रहे हैं और पुरोहितों के अत्याचारों के कारण प्राच्य।

•    सारा पश्चिम एक ज्वालामुखी के मुख पर बैठा है, जो कल ही फूट सकता है और टूक-टूक हो जा सकता है।

•    एशिया ने सभ्यता की नींव डाली, यूरोप ने पुरुष का विकास किया औऱ अमेरिका स्त्रियों तथा सर्वसाधारण जनता का विकास कर रहा है।

•    प्रत्येक व्यक्ति, प्रत्येक राष्ट्र को महान् होने के लिए निम्नलिखित तीन बातों की आवश्यकता है-

•    अच्छाई की शक्तियों पर दृढ़ विश्वास,

•    ईर्ष्या और सन्देह का अभाव,

•    उन सभी की सहायता करना, जो अच्छे बनने तथा अच्छा कार्य करने का प्रयत्न करते हैं।

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