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स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :127
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9604

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स्वैच्छिक रक्तदान करना तथा कराना महापुण्य का कार्य है। जब किसी इंसान को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तभी उसे इसके महत्त्व का पता लगता है या किसी के द्वारा समझाने, प्रेरित करने पर रक्तदान के लिए तैयार होता है।


ब्लड-बैंक सेवा


उपचार हेतु
रोगी रक्त मांगते
आप मुस्कुराकर
रक्तदानी का रक्त देते।

जीवन अमूल्य दान पाता
पुनर्जीवित हो
वह आशिष देता
दुआएं देता।
वह खुशियों से
खिल उठता।
आपका जीवन भी
प्रफुल्लित हो
झूम जाता।

सगर्व घोषित करते हम
वह चाकरी नहीं
सेवा कर्म है
पुण्य कर्मों का फल
जुड़े हम रक्तधाम से
रक्तपात कर
जो आतंकित करते
उन्हें भी रक्तदान से
जीवन आस्था सिखाते।

स्वेत हंसों
हँस-हँस कर
रक्तदान कराती
रक्तधाम भरती
जीवन बचाती
अपना दर्द दबाती
सदैव मुस्कराती।

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