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स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :127
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9604

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स्वैच्छिक रक्तदान करना तथा कराना महापुण्य का कार्य है। जब किसी इंसान को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तभी उसे इसके महत्त्व का पता लगता है या किसी के द्वारा समझाने, प्रेरित करने पर रक्तदान के लिए तैयार होता है।


रक्तदान महादान


स्वैच्छिक रक्तदान करना तथा कराना महापुण्य का कार्य है। जब किसी इंसान को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तभी उसे इसके महत्त्व का पता लगता है या किसी के द्वारा समझाने, प्रेरित करने पर रक्तदान के लिए तैयार होता है। एक मनुष्य सेवा भावना से वशीभूत होकर दूसरे अजनबी व्यक्ति के लिए निस्वार्थ भाव से अपने शरीर का अंश निकालकर दे देता है। इसलिए रक्तदान को महादान का नाम दिया गया है।

रक्तदाताओं तथा उनके लिए शिविर आयोजकों के महान कार्य को देखते हुए मैंने उनके सम्मान में कुछ मन की बात लिखी है। इससे पूर्व रक्त सेवा में संलग्न रक्तदूतों के अभिनंदन में मेरी तीन पुस्तकें १..जय रक्तदाता २. रक्तदान महादान ३. ब्लडबैंक पाठकों को पसंद आयी थीं। आशा है मेरा यह प्रयास 'स्वैच्छिक रक्तदान क्रान्ति' (कविता संग्रह) आपको पसंद आएगा, विशेषकर १८ वर्ष पूरे करने वाले विद्यार्थियों को रक्तदान के लिए प्रेरित करेगा।

जय रक्तदाता !

- मधुकांत
211-L मॉडल टाउन,
रोहतक (हरियाणा)
मो. 9896667714


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