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स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :127
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9604

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स्वैच्छिक रक्तदान करना तथा कराना महापुण्य का कार्य है। जब किसी इंसान को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तभी उसे इसके महत्त्व का पता लगता है या किसी के द्वारा समझाने, प्रेरित करने पर रक्तदान के लिए तैयार होता है।


मलाल बनाम गर्व


मित्रों
एक बात का बड़ा मलाल है
कि पचास वर्ष के बाद
ख्याल आया
रक्तदान करना चाहिए।

स्वैच्छिक रक्तदान किया,
परन्तु बहुत विलम्ब से
अब तक केवल सत्रह बार
रक्तदाताओं के बीच खड़ा होता है।
अनेक बार बौनेपन का
अहसास होता है।

परन्तु स्वयं पर गर्व भी है।
तिरसठ वर्ष की दहलीज पर
खड़ा रक्तदान करता हूं
आनन्द से जीता हूं।
संभवतया मैं सबसे
बड़ी आयु का रक्तदानी हूं।
मुझे विश्वास है
ढलती उम्र में
रक्तदान करता हूँ।

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