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व्यक्तित्व का विकास

स्वामी विवेकानन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :134
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9606

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मनुष्य के सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास हेतु मार्ग निर्देशिका


त्याग और सेवा : चारित्रिक विकास के लिए स्वामीजी निष्काम सेवा को एक प्रमुख साधन मानते थे। इसके साथ ही स्वार्थ तथा कर्मफलों की इच्छा के त्याग को मिलाकर स्वामीजी ने इन्हें राष्ट्र के लिए द्विविध आदर्श बताया। उन्होंने कहा, ''उसकी इन धाराओं में गति लाइये और बाकी सब कुछ अपने आप ही ठीक हो जायेगा।''

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