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अकबर - बीरबल

गोपाल शुक्ल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9680

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अकबर और बीरबल की नोक-झोंक के मनोरंजक किस्से


चादर जितनी, उतने पैर पसारो


बादशाह अकबर के दरबारियों को अक्सर यह शिकायत रहती थी कि बादशाह हमेशा बीरबल को ही बुद्धिमान बताते हैं, औरों को नहीं।

एक दिन बादशाह ने अपने सभी दरबारियों को दरबार में बुलाया और दो हाथ लम्बी दो हाथ चौड़ी चादर देते हुए कहा—”इस चादर से तुम लोग मुझे सर से लेकर पैर तक ढंक दो तो मैं तुम्हें बुद्धिमान मान लूंगा।”

सभी दरबारियों ने कोशिश की किंतु उस चादर से बादशाह को पूरा न ढंक सके, सिर छिपाते तो पैर निकल आते, पैर छिपाते तो सिर चादर से बाहर आ जाता। आड़ा-तिरछा लम्बा-चौड़ा हर तरह से सभी ने कोशिश की किंतु सफल न हो सके।

अब बादशाह ने बीरबल को बुलाया और वही चादर देते हुए उन्हें ढंकने को कहा। जब बादशाह लेटे तो बीरबल ने बादशाह के फैले हुए पैरों को सिकोड़ लेने को कहा। बादशाह ने पैर सिकोड़े और बीरबल ने सिर से पांव तक चादर से ढंक दिया। अन्य दरबारी आश्चर्य से बीरबल की ओर देख रहे थे। तब बीरबल ने कहा—”जितनी लम्बी चादर उतने ही पैर पसारो।

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