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अकबर - बीरबल

गोपाल शुक्ल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9680

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अकबर और बीरबल की नोक-झोंक के मनोरंजक किस्से


तोते की मौत


एक बहेलिये को तोते में बडी ही दिलचस्पी थी। वह उन्हें पकडता, सिखाता और तोते के शौकीन लोगों को ऊँचे दामों में बेच देता था। एक बार एक बहुत ही सुन्दर तोता उसके हाथ लगा। उसने उस तोते को अच्छी-अच्छी बातें सिखायीं उसे तरह-तरह से बोलना सिखाया और उसे लेकर अकबर के दरबार में पहुँच गया। दरबार में बहेलिये ने तोते से पूछा – “बताओ ये किसका दरबार है?”

तोता बोला, “यह जहाँपनाह अकबर का दरबार है”। सुनकर अकबर बडे ही खुश हुए। वह बहेलिये से बोले, “हमें यह तोता चाहिये, बोलो इसकी क्या कीमत माँगते हो”। बहेलिया बोला जहाँपनाह – “सब कुछ आपका है आप जो दें वही मुझे मंजूर है।” अकबर को जवाब पसंद आया और उन्होंने बहेलिये को अच्छी कीमत देकर उससे तोते को खरीद लिया।

महाराजा अकबर ने तोते के रहने के लिये बहुत खास इंतजाम किये। उन्होंने उस तोते को बहुत ही खास सुरक्षा के बीच रखा और रखवालों को हिदायत दी कि इस तोते को कुछ नहीं होना चाहिये। यदि किसी ने भी मुझे इसकी मौत की खबर दी तो उसे फाँसी पर लटका दिया जायेगा। अब उस तोते का बड़ा ही ख्याल रखा जाने लगा। मगर विडंबना देखिये कि वह तोता कुछ ही दिनों बाद मर गया। अब उसकी सूचना महाराज को कौन दे?

रखवाले बड़े परेशान थे। तभी उनमें से एक बोला कि बीरबल हमारी मदद कर सकता है और यह कहकर उसने बीरबल को सारा वृत्तांत सुनाया तथा उससे मदद माँगी।

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