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बुधवार व्रत कथा
बुधवार व्रत कथा
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बुधवार के व्रत की विधि, कथा एवं आरती
बुधवार की आरती
आरती युगलकिशोर की कीजै।
तन मन धन न्यौछावर कीजै।। आरती युगल..
गौरश्याम मुख निरखन लीजै।
हरि का स्वरूप नयन भर पीजै।। आरती युगल..
रवि शशि कोटि बदन की शोभा।
ताहि निरख मेरो मन लोभा।। आरती युगल..
ओढ़े नील पीत पट सारी।
कुंज विहारी गिरिवर धारी।। आरती युगल..
फूलन की सेज फूलन की माला।
रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाला।। आरती युगल..
कंचनथार कपूर की बाती।
हरि आए निर्मल भई छाती।। आरती युगल..
श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी।
आरती करे सकल ब्रज नारी।। आरती युगल..
नन्दनन्दन बृजभान किशोरी।
परमानन्द स्वामी अविचल जोरी।। आरती युगल..
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पुस्तक का नाम
बुधवार व्रत कथा
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