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चमत्कारिक दिव्य संदेश

उमेश पाण्डे

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :169
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9682

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सम्पूर्ण विश्व में भारतवर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है जो न केवल आधुनिकता और वैज्ञानिकता की दौड़ में शामिल है बल्कि अपने पूर्व संस्कारों को और अपने पूर्वजों की दी हुई शिक्षा को भी साथ लिये हुए है।

सभी के जानने योग्य रामचरितमानस से कुछ तथ्य

श्री मानस-ज्ञान-सञ्चय

1. पुञ्कस्थीला, नामक स्वर्ग की एक अप्सरा ऋषि शापवश मृत्यु लोक में वानरी के रूप में कुञ्जर नामक कपिराज के यहाँ पुत्री बनकर उत्पन्न हुई। इनका नाम कपिराज पुत्री राजकुमारी अञ्जना था। इनका विवाह केशरी नामक वीर कपिराज से हुआ था। अमृत मंथन के समय भगवान श्री विष्णुजी के श्री मोहनी रूप को देखकर भूतभावन भगवान भोलेनाथ श्री शिवजी का अंश वीर्य रूप से पतित हुआ, जिसका एक अंश तो महासागर में फेंके जाने पर एक मछली द्वारा ग्रहण कर लिया गया जिसके गर्भ से नाथ सम्प्रदाय के आदि गुरु महाराजाधिराज भगवान श्री मच्छेन्द्रनाथ जी का जन्म हुआ, एक अंश किसी तरह वानर राज केशरी के माध्यम से माता अञ्जना के गर्भ में स्थापित हुआ, जिससे श्री वीरबंक श्री हनुमान जी महाराजाधिराज का अवतार हुआ। शेष जो अंश पृथ्वी पर रहा, वहाँ पर सोने व चाँदी की खदानें बन गई। श्री हनुमान जी, श्री वानर राज केशरी के क्षेत्रज व पवन देवता के औरस पुत्र माने गये हैं।

2. विद्युज्जीही लंकापति रावण की एक मात्र बहिन शूर्पणखा का पति था। किसी कारणवश रावण ने ही उसका वध कर दिया था। विधवा होने के पश्चात् सूर्पणखा स्वेच्छाचारिणी हो गई थी। इसीलिए श्री रामजी के गूढ़ संकेत की आज्ञा प्राप्त कर श्री लखनलालजी ने उसके नाक-कान काट लिए थे।

3. ताड़का नामक राक्षसी सुकेत नामक राक्षसराज की पुत्री थी एवं सुन्दर नामक दैत्य की पत्नी व मायामृग रूप धारण करने वाले मारीच की माँ थी। मुनि विश्वामित्रजी के यक्ष की रक्षा करने के लिए श्री रामजी ने अपने जीवनकाल में प्रथम बार किसी आततायी का वध किया था।

4. मयन्द व द्विविद नामक श्रीरामजी की कपि सेना के दो वीर वानर अश्विनी कुमारों के पुत्र थे।

5. अशोक वाटिका या अशोक वन का एक नाम प्रमदावन भी पाया जाता है।

6. गंधर्वराज शैलुष की पुत्री सरमा, श्रीरामभक्त राक्षसराज विभीषण की धर्म पत्नी थी। यह श्री सीताजी की अशोक वाटिका में सेवा किया करती थी।

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