लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> चमत्कारिक दिव्य संदेश

चमत्कारिक दिव्य संदेश

उमेश पाण्डे

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :169
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9682

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

139 पाठक हैं

सम्पूर्ण विश्व में भारतवर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है जो न केवल आधुनिकता और वैज्ञानिकता की दौड़ में शामिल है बल्कि अपने पूर्व संस्कारों को और अपने पूर्वजों की दी हुई शिक्षा को भी साथ लिये हुए है।

मोक्ष प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए ?

एक राजा था फिर भी योगी जैसा जीवन जीने वाला था। उसके राज्य की प्रजा बड़ी सुखी थी। प्रजा को राजा के ऊपर बड़ा ही प्रेम था, कारण कि राजा प्रजा के सुख और दुःख का हमेशा ध्यान रखता था। प्रजा के सुख के लिए वह हमेशा सभी कुछ न्यौछावर करने हेतु तत्पर रहता था, ऐसा राजा कौन-सी प्रजा को अच्छा नहीं लगता?

राजा को धन का अभिमान नहीं था, वैभव विलास में रस नहीं था, राज्य की धरती बढ़ाने का कोई विचार नहीं था, न ही रानी के साथ बातचीत करने में आनन्द ही था, कारण कि उसके मन में एक ही वस्तु की तमन्ना जाग उठी थी और वह वस्तु अर्थात्  'मोक्ष।’ मोक्ष कैसे मिले? इस संसार के अनन्त दुःखों से मेरा छुटकारा (मोक्ष) कैसे हो?

यही उसके हृदय की प्रत्येक पल की अभिलाषा थी। वह रोज धर्मसभा करता था, विभिन्न धर्मों के पण्डितों को तथा धर्मगुरुओं को बुलाता था, सभी के साथ धर्म की चर्चा करता, जिज्ञासा भरे सवाल करता और अन्त में मुख्य सवाल यह पूछता कि -मेरा मोक्ष किस प्रकार से हो? मोक्ष प्राप्त करने के लिए मुझे कौन से मार्ग पर जाना चाहिए?' प्रत्येक विद्वान अपनी-अपनी समझ के अनुसार जवाब देता था परन्तु अभी तक किसी का भी जवाब राजा के हृदय में बराबर उतर नहीं पा रहा था। वर्ष बीत गये और राजा की मुसीबत बढ़ती गई। उसकी बेचैनी बेहद बढ़ गई किन्तु राजा का मोक्ष तो फिर भी नहीं हुआ।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book