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चमत्कारिक दिव्य संदेश

उमेश पाण्डे

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :169
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9682

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सम्पूर्ण विश्व में भारतवर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है जो न केवल आधुनिकता और वैज्ञानिकता की दौड़ में शामिल है बल्कि अपने पूर्व संस्कारों को और अपने पूर्वजों की दी हुई शिक्षा को भी साथ लिये हुए है।

चमत्कारी दुर्गा द्वात्रिंशन्नाममाला

यह अत्यन्त गोपनीय और दुर्लभ है। स्वयं दयामयी माँ दुर्गा ने देवगणों की प्रार्थना पर सब प्रकार की आपत्ति का विनाश करने वाली इस बत्तीस नामावली का रहस्य उजागर किया था। नास्तिक, दुराचारी, शठ और अभक्त व्यक्ति इसका प्रयोग न करें। यदि कोई शत्रुओं से पीड़ित हो या बन्धन में पड़ा हो और उसकी मुक्ति का कोई दूसरा उपाय न हो, तो इन बत्तीस नामों का पुनश्चरण या एक लाख बार जप करने से कारागार में पड़े व्यक्ति को भी छुड़वाया जा सकता है। किन्तु इस बात का ध्यान रखें कि कूर, हिंसक, अक्षम्य अपराधी को छुड़ाने के लिए इसका प्रयोग कदापि न करें। विद्वान पण्डित जनों से इसका अनुष्ठान करवाकर दशांश हवन करना चाहिए। हविष्यान्न में मधु मिश्रित अवश्य करें। इसके प्रयोग में मिट्टी की अष्टभुजावाली मूर्ति बनावें और दुर्गा के सभी आयुध गदा, खड्ग, त्रिशूल, बाण, धनुष, कमल, ढाल और मुद्गर धारण करवावें मस्तक पर अर्द्धचन्द्र हो। सिंहवाहिनी इस मूर्ति को रक्त वस्त्र धारण करवावें हवन करें ओर रक्त कनेर के फूलों की माला धारण करवावें षोडशोपचार पूजन करें और मंत्र जप करते हुए अनुष्ठान पूर्ण करें। इस प्रकार असाध्य कार्य भी पूर्ण हो जाता है।

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